कश्मीरी लोहार वंश की महारानी दिद्दा
हमारा इतिहास काफी रोचक रहा है जिसे काफी संघर्षों के बाद लिखा गया है। इस विशाल देश में कई ऐसे साम्राज्य रहे हैं, जिन्होंने न सिर्फ भारत को आगे बढ़ाने का काम किया है बल्कि अपनी वीरता की मिसाल भी कायम की है। आपको जानकर हैरानी होगी न सिर्फ राजा बल्कि रानियां भी वीरता के मामले में कम नहीं रही हैं। इससे पहले भी हम आपको भारत के इतिहास से जुड़ी रानियों, बेगमों से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बता चुके हैं।
इसी कड़ी आज हम अपनी सीरीज 'हिस्ट्री ऑफ क्वीन' में कश्मीरी रानी के बारे में बता रहे हैं। जी हां, कश्मीर का भी रोचक इतिहास रहा है, जिसके पन्नों पर कई नाम दर्ज हैं। मगर आज हम आपको कश्मीर की फेमस रानी दिद्दा के बारे में जानकारी दे रहे हैं। आपको बता है जब भी कश्मीर के इतिहास की बात की जाती है, तो दिद्दा रानी का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन ऐसा क्यों है...आइए जानते हैं।
भारत के विभाजन से पहले कश्मीर पर कई साम्राज्यों का शासन रहा है। कहा जाता है कि पहले कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर बसाया गया था। कश्मीर के पहले राजा भी महर्षि कश्यप थे, जिन्होंने अपने सपनों का कश्मीर बनाया था। कश्मीर का नाम भी कश्यपमर से निकला है।
दिद्दा कश्मीर की एक शासिका थीं, जो सन 924 ईसा पूर्व में हुआ था। रानी दिद्दा एक हिंदू खानदान से ताल्लुक रखती हैं। इनके पिता का नाम सिंहराज था, जो लोहार वंश के राजा थे। प्राचीन संस्कृत कवि कल्हण ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक दिद्दा का उल्लेख किया है।
कहा जाता है कि दिद्दा के पति शारीरिक रूप से कमजोर थे, जिसकी वजह से सत्ता का काम दिद्दा संभाल रही थीं।
जब कोई महिला सत्ता में आती है, तो कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसा ही दिद्दा के भी साथ हुआ....कहा जाता है कि दमार कश्मीर के ताकतवर जमींदार थे, लेकिन उन्हें दिद्दा का सत्ता संभालना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
पर दिद्दा के हौसलों ने सबकी कमर तोड़ दी यानि दिद्दा ने अपनी गद्दी बचाने के लिए सभी वो पैतरें चले, जो उस वक्त का कोई भी पुरुष शासक चलता था। यही वजह है कि दिद्दा को महान नहीं कहा गया बल्कि चुड़ैल, बदचलन जैसे नामों से भी पुकारा गया।
कई लोगों का यह भी माना है कि जब राजा दिद्दा से हार जाते, तो अपनी मर्दानगी छुपाने के लिए दिद्दा को चुड़ैल कह दिया करते थे।
नारी शिक्षा एवं उत्थान
दिद्दा ने काफी परेशानियों का सामना किया, लेकिन समाज के लिए काम भी बखूबी किया। दिद्दा ने नारी शिक्षा को आगे बढ़ाने का काम किया और अनेक प्रकल्प भी शुरू करवाए। साथ ही दिद्दा ने कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगभग 64 से अधिक मंदिरों का निर्माण करवाया। इसमें से आज एक शिव मंदिर दिदारा मठ के नाम से जाना जाता था।
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