विश्वकर्मा वंश के वीरों की गाथा वेलुथम्पी अचारी का इतिहास:

विश्वकर्मा वंश के वीरों की गाथा वेलुथम्पी अचारी का इतिहास:
मदुराई जिले में वेलुथम्पी अचारी के बारे में ज्यादातर चंदन देवा क्षेत्र के द्वारा में चर्चित की जाती है। तत्कालीन अत्याचारी सरकारी अधिकारियों के प्रति उनकी वीरता, निडरता और अपने आश्रितों की मदद ने उनको एक किंवदंती (कहीं सुनी कथा) बना दिया। वेलुथम्पी अचारी का जन्म तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के पुन्नैवसल गाँव में हुआ था और उनका जन्म का नाम मोवेन्दन था। ठकप्पन मुथैया अचारी पेशे से पीतल श्रमिक यानी ताम्रकार का एक परिवार आजीविका की तलाश में मदुराई आया था। आचारी ने मदुराई में एक महिला से बलात्कार करने आए छह लोगों को मार दिया था और महिला के सम्मान की रक्षा के लिए तभी से वेलुथम्पी के रूप में जाना जाने लगे थे । ब्रिटिशों के लिए चोर थे। वह जो हमेशा दूसरों की भलाई के लिए काम करते थे और उन लोगों की मदद करते है जो उस पर निर्भर हैं। ब्रिटिश पुलिस को भेष बदल कर धोखा देने, पुलिस के कब्जे से भागने, मौजूदा गोरों को लूटने, ब्लैकमेल करने और दुश्मन को टेढ़े-मेढ़े धनुष से मारने जैसी साहसिक गतिविधियों ने लोगों को आकर्षित किया। अपने साथियों द्वारा हुए विश्वासघात के कारण भागते समय अंततः उसे ब्रिटिश गार्ड द्वारा गोली मार दी गई। उसने अपने रिश्तेदारों को अपने शव को देखने भी नहीं दिया। वह गोरे लोगों की संपत्ति लूटता था, उनकी मदद करने वालों को मारता था, आदि। लेकिन प्रसिद्धि पाने के लिए उसने कई लोगों को मार डाला जो वेलुथम्पी को एक सफेद चाकू से जानते थे। उनकी कहानी अभी भी तमिलनाडु राजरानी मंच के कलाकारों द्वारा गाई जाती है, जो वेलुथम्पी अचारी की कहानी गाते हैं।
साभार - पंडित नागाब्रह्माचारी 
संकलनकर्ता - मयुरकुमार मिस्त्री 
श्री विश्वकर्मा साहित्य धर्म प्रचार समिति 

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