विश्वकर्मा वंशज शाखा - उपशाखा


विश्वकर्मा वंशज-शाखा - उपशाखा
 
वर्तमान काल में महर्षी विश्वकर्मा वंशिय पाँचाल पौरुषेय ब्राह्मणौं के भि आर्षेय ब्राह्मणौं कि भाँती भारत में अनेकानेक उपशाखाओं के पदवी उपाधिमेद मे से 30 प्रमुख नाम निम्नवत् है । जो विन्ध्याचल से " उत्तर पंच धिमान् " एवं विन्ध्याचल से " दक्षिण पंच आचार्य जन्य है । 
(1) धिमान (2) जाँगिड (3) पाँचाल (4) आचार्य (5) ककुहास (6) उपाध्याय, ओझा, झा (7) मैथिल (8) त्रीवेदी (9) रामगढिया (10) मथुरिया (11) रावत, सोनि (12) कान्यकुब्ज (13) विश्व ब्राह्मण (14) मालविय (15) गौड, अथर्वण (16) जगद्गुरु (17) देवकमलार (18) मागध, दैवज्ञ (१९) राना, महाराना (20) कंसाली, शिल्पी (21) नवन्दन, पंचालर (22) पिप्पला (२३) विश्वकर्मा (24) सत्पथ ब्राह्मण (25) सरवरिया (26) लोष्टा,लाहोरी (27) टाँक ( तक्षा ) (28) तरन्च (29) माहुलिया (30) सुत्रधार  । 

ईनके अतिरिक्त - मूल स्थान वाचक, गोत्र वाचक , कर्म वाचक , शिल्प वाचक, उत्पत्ती वाचक लगभग डेढ सौं ( 150) उपनाम -आस्पद , आज पाँचौं कुलौं के भारत में ब्यहुत है । जबकी 8 या 10 गोत्रौं से विस्तार उपरान्त , पाँचाल ब्राह्मणौं के भि मुलत: 5 से 125 गोत्र , सैकडौं प्रवर आदि हो गये , जिनकी संख्या वर्तमान व्यवहार में अति न्यून हो गई है । विश्वकर्मा वंश एक बहुत बड़ा समाज का निर्माण कर सकता है हमे एक होना चाहिए। 

मयूर मिस्त्री
विश्वकर्मा साहित्य भारत

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