विश्वकर्मा चौबीसी


विश्वकर्मा चौबीसी
मेरा पूजन करके तो देखो, कार्य सफल न हो जाए तो कहना। 
मेरा स्मरण करके तो देखो, पराक्रम न बढ़ जाए तो कहना। 
मेरा यज्ञ करके तो देखो, सबका पालन न हो जाए तो कहना। 
मेरा भजन करके तो देखो, सर्व कल्याण न हो जाए तो कहना। 
मेरी प्रार्थना करके तो देखो, कर्मयोगी न हो जाओ तो कहना। 
मेरी आरती करके तो देखो, द्रेशभाव न मिट जाए तो कहना। 
मेरी उपासना करके तो देखो, धनवान न हो जाओ तो कहना। 
मेरी साधना करके तो देखो, सामर्थ्यवान न हो जाओ तो कहना। 
मेरी आराधना करके तो देखो, बलवान न हो जाओ तो कहना। 
मेरी वंदना करके तो देखो, सत्य मार्ग न मिल जाए तो कहना। 
मेरा अनुष्ठान करके तो देखो, प्रचंडता न जाए तो कहना। 
मेरी चालीसा पढ़कर तो देखो, आत्मनिष्ठा न जाए तो कहना। 
मेरी प्रदक्षिणा करके तो देखो, गंभीरता न आ जाए तो कहना। 
मेरा ध्यान लगाकर तो देखो, दीर्घ जीवन न मिल जाए तो कहना। 
मेरा कीर्तन करके तो देखो, मर्यादा शक्ति न जाए तो कहना। 
मेरा तप करके तो देखो, आत्मा निर्विकार न हो जाए तो कहना। 
मेरा नमन करके तो देखो, शांतिदूत न बन जाओ तो कहना। 
मेरा जप करके तो देखो, मृत्यु से निर्भय ना हो जाओ तो कहना। 
मेरी अर्चना करके तो देखो, उत्पादन न बढ़ जाए तो कहना। 
मेरा आवाहन करके तो देखो, प्रसन्नता न आ जाए तो कहना। 
मेरा स्तवन करके तो देखो, आदर्श शक्ति न जाए तो कहना। 
मेरा चिंतन करके तो देखो, साहसीक न बन जाओ तो कहना। 
मेरा मनन करके तो देखो, विवेक शक्ति न आ जाए तो कहना। 
मेरी जयंती मनाकर तो देखो, वंश उन्नति न आ जाए तो कहना।

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