सृजन कर हवन

सृजन कर हवन

सृष्टि की सुंदर धरा - वसुधा मे होता है कुंड हवन, 
ब्रम्हत्व पूर्ण विधि - विधानों से
करता है शिल्पी हवन, 

मंत्रों की गूंज से अरणि यंत्र याग प्रज्वलित हवन, 
लपटें उठी सौम्य सुगंध, 
गगन गाए सुर नव भवन, 

यज्ञमान आहुति देता बार बार, 
समिधा जीवों के जतन, 
उपवास अधीर धारण कर, 
सम्मिलित लाग लगन, 

प्रतिष्ठा पावन वास्तु शिल्पकर्म, 
सूख करे आनन, 
श्रीफल शिखा शिल्पी भौम, 
अचल सम्पन्न कर हवन, 

कर जोड़ प्रार्थी सुखमय, 
देव गण मन पावन, 
तपसी जन पुष्प सुमन, 
बरसाए मेघ प्रसन्न,

होम हवन अति हितकारी, 
प्राण सुशोभित जीवन, 
पूजा आरती छंद विश्वहताॅ,
करे सब सुख सृजन,

रचनाकार - ©️मयूर मिस्त्री
विश्वकर्मा साहित्य भारत

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