जय विश्वकर्मा का नारा गूंजाते चलो,

जय विश्वकर्मा का नारा गूंजाते चलो, 

सामाजिक सोच सह उत्साह- उल्लास ले चलो, 
जीत ली है हारी बाज़ी, मन में यह विश्वास ले चलो, 

उलझनें-अपवाद-अपमान को ढेर करते चलो, 
हों बाधाएं कितनी पथ में, समाज में मुस्कान बनाए चलो, 

आंतरिक भरी ऊर्जा बेमिसाल, प्रचार निरंतर करते चलो ,
डटकर, चुनौतियों से लड़कर, जीतेंगे सारा संसार, 
एसी नीव हर कदम बनाकर चलो, 

लें संकल्प समाज सृजन का मन में, उम्मीदों से हो भरपूर,
ठान लें पक्के राही , एक दूजे को थामे चले चलो, 

फैलाओ ज्ञान और साहित्य समाज में , जय विश्वकर्मा का नारा गूंजाते चलो, 

©मयूर मिस्त्री
विश्वकर्मा साहित्य भारत

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