हाँ...! मैंने देखा है भारत

हाँ...! मैंने देखा है भारत
खिलखिलाती नदियों में मिलते लाल रंग का भारत, 

पहाड़ों को चीरती मदद की चिल्लाहट का भारत,

पिछड़े गांवों में असुविधाओं से भरे बचपन का भारत,

भाषा की खींचतान मे बंटवारे का भारत,

कौमी दंगों के बीच एकता के नारों का भारत,

राजनीतिक ख़ुर्शी के नीचे डगमगाता भारत,

निर्वस्त्र हुए संस्कारों मे भिगा मदिरा का भारत,

उलझे सुलझे इशारों पर टिके सैनिकों का भारत,

दानवीरों की भूमि में सिसकती भुख का भारत, 

पानी, जंगल और संस्कार से लुप्त होता भारत, 

सही दिख रहा है आधा समुन्दर मे डूबा भारत,

सोचा नहीं एसा देख रहा हू भारत, 
हाँ...! मैंने देखा है भारत,

©️मयूर मिस्त्री (मनपसंद)

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