अदृश्य सत्य की दृष्ट छाया को व्यक्त करने वाला “कलाकार”
अदृश्य सत्य की दृष्ट छाया को व्यक्त करने वाला “कलाकार”
सत्य को पारितोषिक वस्तु जैसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता,किन्तु शब्दों के माध्यम से ही जो व्यक्ति सत्य का साक्षात्कार करा सके उस जादूगर को कलाकार कहते ।
अपने अस्तित्व का खूँटा समाज में गाड़ने से अस्तित्व खो जाता है । क्योंकि व्यक्ति सत्य है तो समाज भी झूठा नहीं ।
स्वयं से जुड़ने के लिये समाज के ऋणी बने तब अन्दर का सर्जक जाग सकेगा ।
रचना - मयूर मिस्त्री
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