विश्वकर्मा रत्न शिल्प रत्नपद्मश्री प्रभाशंकर ओ सोमपुरा और परिवार

विश्वकर्मा रत्न शिल्प रत्न
पद्मश्री प्रभाशंकर ओ सोमपुरा और परिवार
पद्मश्री से सम्मानित प्रभा शंकर ओ. सोमपुरा जी की विरासत नागर शैली की धरोहर मानी जाती है । जिसको उनके बेटे और शिष्यों द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। चंद्रकांत भाई प्रसिद्ध परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो राम मंदिर निर्माण में योगदान दे रही है। उनकी चौथी पीढ़ी भी इस काम में सक्रिय है। आर्किटेक्चर चंद्रकांत भाई ने वास्तु कला में कोई व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया इंटरमीडिएट के बाद पिता ने उनकी पढ़ाई बंद करवा दी थी। 

चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने देश-विदेश में अब तक 100 से ज्यादा मंदिर बनाए हैं। लंदन पिट्सबर्ग में सर्व धर्म मंदिर, बैंगकॉक में विष्णु मंदिर और अमेरिका में जैन मंदिर बनाया। मंदिर का नक्शा उत्तर भारत की नागर शैली पर बनाया गया है।

श्री प्रभा शंकर सोमपुरा जी द्वारा लिखित क्षीणाॅरव ग्रंथ शिल्प विज्ञान और पूरे विश्वकर्मा समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है 

नागर शैली भारतीय हिंदू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। जो विश्वकर्मीय वास्तु शास्त्र के अनुसार नागर शैली में मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च तक इसका चतुष्कोण होता है। नागर शैली की दो विशेषताएं होती है इसकी विशिष्ट योजना और विमान। इसकी मुख्य भूमि आयताकार होती है जिसमें बीच में दोनों और क्रमिक विमान होते हैं। जिसके चलते इसका पूर्ण आकार तिकोना हो जाता है। खास बात यह है कि इन मंदिरों में लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं होता है भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर नागर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है इसके अलावा खजुराहो मंदिर भी इसी शैली पर बने हुए हैं विश्व प्रसिद्ध उड़ीसा कोणार्क मंदिर भी नागर शैली में बनाया गया।

अयोध्या में राम मंदिर के डिजाइन पर सबसे पहले इस परिवार के चंद्रकांत सोमपुरा ने तीन दशक से भी ज्यादा पहले काम करना शुरू किया. चंद्रकात अब 77 वर्ष के हैं और अब उनके बेटे इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.
अमेरिका, ब्रिटेन में स्वामीनारायण मंदिर भी किया डिजाइनसोमपुरा परिवार को अब भूमि पूजन की घड़ी का इंतजार
अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन से एक नए अध्याय की शुरुआत होगी. लंबी प्रतीक्षा के बाद ये घड़ी आने जा रही है. ये घड़ी देखने के लिए अहमदाबाद का एक परिवार भी बहुत उत्साहित है. ये परिवार और कोई नहीं बल्कि राम मंदिर के डिजाइन से जुड़ा सोमपुरा परिवार है. इस आर्किटेक्ट परिवार की मंदिरों के डिजाइन तैयार करने के लिए देश-विदेश में ख्याति है. 15 पीढ़ियों से ये परिवार यही काम करता आ रहा है. परिवार का दावा है कि वे अब तक 131 मंदिरों के डिजाइन तैयार कर चुके हैं.

अयोध्या में राम मंदिर के डिजाइन पर सबसे पहले इस परिवार के चंद्रकांत सोमपुरा ने तीन दशक से भी ज्यादा पहले काम करना शुरू किया. चंद्रकात अब 77 वर्ष के हैं. सोमपुरा परिवार की मंदिर डिजाइन की परंपरा को अब चंद्रकांत के दो बेटे निखिल (55) और आशीष (49) आगे बढ़ा रहे हैं. निखिल के मुताबिक अब इसी कड़ी में उनकी अगली पीढ़ी भी जुड़ गई है.
निखिल बताते हैं कि गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के रि-कंस्ट्रक्शन का डिजाइन उनके दादा प्रभाशंकर सोमपुरा ने तैयार किया था. पद्मश्री से सम्मानित प्रभाशंकर सोमपुरा ने शिल्प-शास्त्र पर 14 किताबें भी लिखीं. नागर शैली में मंदिरों के डिजाइन के माहिर इस परिवार को वास्तुकला का यह गुण पीढ़ी दर पीढ़ी मिलता आया है.
चंद्रकांत सोमपुरा अब अधिक उम्र की वजह से घर से बाहर नहीं जाते हैं. लेकिन उनके बेटों को जब भी मंदिर डिजाइन के लिए सलाह की जरूरत होती है तो वो घर से ही दिशानिर्देश देते हैं। 
राम मंदिर डिजाइन पर सोमपुरा परिवार का कहना है कि सबसे पहले 1989 में उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर डिजाइन पर काम करना शुरू किया. उस वक्त ये जिम्मा चंद्रकांत सोमपुरा ने लिया. तब विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने उनसे इसके लिए संपर्क किया था. निखिल और आशीष का कहना है कि तभी से डिजाइन को लेकर उनका परिवार लगातार विश्व हिन्दू परिषद से विमर्श करता आया है.

अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को खास नागर शैली में बनाया जाएगा. सोमपुरा परिवार ने मंदिर की डिजाइन को वास्तुकला को ध्यान में रखकर तैयार किया है. मंदिर दो की जगह अब तीन मंजिला होगा. निखिल सोमपुरा का कहना है कि राम मंदिर का मुख्य ढांचा वैसा रखा गया है जैसा प्रस्तावित मॉडल में था। 

निखिल सोमपुरा भारतीय मंदिरों के स्थापत्य की तीन शैलियां बताते हैं- नागर, द्रविड़ और वेसर. राम मंदिर को नागर शैली में डिजाइन किया गया है जो उत्तर भारत में प्रचलित है.
इस शैली की खास बात है कि इसका गर्भगृह अष्टकोणीय आकार में होता है और मंदिर की परिधि वृत्ताकार बनाई जाती है. गुजरात में सोमनाथ मंदिर भी इसी शैली में बना है. सोमपुरा परिवार भी उन लम्हों का इंतजार कर रहा है जब 5 अगस्त को भूमि पूजन हुआ था अब साथ उनके डिजाइन पर भव्य राम मंदिर निर्माण की ओर बढ़ना शुरू होगा.

विश्वकर्मा जी की कृपा से अपने भारत की धरोहर राम मंदिर का डिजाइन आर्किटेक प्रभा शंकर सोमपुरा परिवार को मिला है। चंद्रकांत सोमपुरा का कहना कि राम मंदिर का बना नक्शा अभी तो 67 एकड़ के अनुसार है। पर अगर इसके क्षेत्रफल को बड़ा कर लिया जाए मतलब 100 से 120 एकड़ तक तो जो नया मास्टर प्लान बनेगा उसपर बने मंदिर को देख कर दुनिया रश्क करेगी। और यह दुनिया का आठवां आश्चर्य कहलाएगा, इसमें कोई शक नहीं है। इस नए प्लान को तैयार करने में अधिक समय नहीं लगेगा। 

चंद्रकांत सोमपुरा का कहना मंदिर को दो से तीन मंजिला बनाया जा सकता। मूर्ति तो एक जगह रहेगी। अभी के नक्शे के अनुसार अगर मंदिर का निर्माण होता है तो करीब 100 करोड़ रुपए की लागत आएगी। अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च बढ़ सकता है। समयसीमा में लागत को कम या ज्यादा करने की एक बड़ी वजह होगी। मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के दो साल के भीतर पूरा किया जा सकता है।

चंद्रकांत सोमपुरा ने गांधीनगर का स्वामीनारायण मंदिर, पालनपुर अंबाजी माता और कई बिड़ला मंदिर बनवाए हैं। गुजरात के विख्यात सोमनाथ मंदिर के पुर्ननिर्माण के आर्किटेक्ट उनके दादा प्रभा शंकर सोमपुरा थे। उत्तराखंड के बदरीनाथ मंदिर का मरम्मत इनके पिता ने करवाया था। सोमपुरा को 1997 में सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट घोषित किया गया था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल लंदन का अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर चंद्रकांत ने ही बनवाया था।

प्रस्तावित नक्शे के अनुसार राम मंदिर मे अभी मंदिर निर्माण में 2 लाख 63 हजार घनफीट पत्थर लगेगा।
पत्थरों को ए, बी, सी व 1,2,3 के हिसाब से नम्बर दिए गए हैं।
निर्माण के वक्त इन्हीं पत्थरों के हिसाब से लगना होगा।
राम मंदिर के ऊपरी भाग में 106 खंभे होंगे।
हर खंभे में 12 हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां होगी।
पहली मंजिल पर राम दरबार का निर्माण होगा।
राम मंदिर के साथ-साथ पांच और मंदिर भी बनेंगे।
मंदिर का मॉडल भगवान विष्णु के पसंदीदा अष्टकोणीय आकार का।
नागर शैली में पूर्णतया पत्थरों से तैयार करने का प्रस्ताव।
मंदिर में तराशे पत्थर का इस्तेमाल।
मौजूदा नक्शे में एक साथ करीब 20 हजार भक्तों के आरती दर्शन की व्यवस्था।
नागर शैली से बनेगा मंदिर, पूरी तरह भारतीय तकनीक पर आधारित।
मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा।
राम मंदिर के गर्भगृह की लंबाई और चौड़ाई 20-20 फीट होगी। सोमनाथ मंदिर में गर्भगृह 15-15 फीट का है। मंदिर 240 फीट लंबा, 145 फीट चौड़ा और 141 फीट ऊंचा होगा।
इस प्रारूप में 251 स्तंभ और मंदिर के चार प्रवेश द्वार होंगे।
विश्वकर्मा साहित्य भारत के प्रचार प्रसार अभियान में पद्मश्री श्री प्रभा शंकर सोमपुरा जी और उनके परिवार के लिए बहुत बहुत अभिनंदन और गौरवांवित अनुभव कर रहे हैं एसी प्रतिभा के कारण आज विश्वकर्मा समाज अनेक शिल्प साहित्य और अनेक शिल्प ग्रंथ मिले हैं उनको और उनके परिवार की उत्तरोत्तर प्रगति की शुभकामनाएं दे रहे हैं।

लेख संकलन - मयूर मिस्त्री
विश्वकर्मा साहित्य भारत

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