शिल्पकार_और_कारीगर

शिल्पकार_और_कारीगर 

शिल्पकार,कारीगर,मिस्त्री, बढई,लुहार, स्वर्णकार ताम्रकार इत्यादि को वेद ‘तक्क्षा’ कह कर पुकारते हैं|

ऋग्वेद ४.३६.१ रथ और विमान बनाने वालों की कीर्ति गा रहा है|

ऋग्वेद ४.३६.२ रथ और विमान बनाने वाले बढई और शिल्पियों को यज्ञ इत्यादि शुभ कर्मों में निमंत्रित कर उनका सत्कार करने के लिए कहता है|
इसी सूक्त का मंत्र ६ ‘तक्क्षा ‘ का स्तुति गान कर रहा है और मंत्र ७ उन्हें विद्वान, धैर्यशाली और सृजन करने वाला कहता है|

वाहन, कपडे, बर्तन, किले, अस्त्र, खिलौने, घड़ा, कुआँ, इमारतें और नगर इत्यादि बनाने वालों का महत्त्व दर्शाते कुछ मंत्रों के संदर्भ :
ऋग्वेद १०.३९.१४, १०.५३.१०, १०.५३.८,
अथर्ववेद १४.१.५३,
ऋग्वेद १.२०.२,
अथर्ववेद १४.२.२२, १४.२.२३, १४.२.६७, १५.२.६५
ऋग्वेद २.४१.५, ७.३.७, ७.१५.१४ |

ऋग्वेद के मंत्र १.११६.३-५ और ७.८८.३ जहाज बनाने वालों की प्रशंसा के गीत गाते हुए आर्यों को समुद्र यात्रा से विश्व भ्रमण का सन्देश दे रहे हैं|

अन्य कई व्यवसायों के कुछ मंत्र संदर्भ :
वाणिज्य – ऋग्वेद ५.४५.६, १.११२.११,
मल्लाह – ऋग्वेद १०.५३.८, यजुर्वेद २१.३, यजुर्वेद २१.७, अथर्ववेद ५.४.४, ३.६.७,
नाई – अथर्ववेद ८.२.१९ ,
स्वर्णकार और माली – ऋग्वेद ८.४७.१५,
लोहा गलाने वाले और लुहार – ऋग्वेद ५.९.५ ,
धातु व्यवसाय – यजुर्वेद २८.१३|

वेदों के प्रमाण पंडित धर्मदेव विद्यामार्तण्ड जी की पुस्तक "वेदों का यथार्थ स्वरुप" से लिए गए है एवं अग्निवीर द्वारा प्रकाशित लेख से साभार है।
मयूर मिस्त्री
विश्वकर्मा साहित्य भारत

Comments

Popular posts from this blog

महात्मा "अलख" भूरी बाई सुथार

Eminent Vishwabrahmin Individuals

વિજાજી સુથારની વાત