विश्वकमीॅय वैदिक अग्नि प्रकट अरणि यंत्र और अग्नि परिचय

विश्वकमीॅय वैदिक अग्नि प्रकट अरणि यंत्र और अग्नि परिचय यज्ञ वेदी में माचिस या कंडी आदि से अग्नि प्रदीप्त ज्वलित नहीं की जाती। यज्ञ के इतिहास विज्ञान पर हम आंशिक चर्चा करे। महावैज्ञानिक यज्ञ चर्चा का प्रारंभ "अरणि मंथन" से ही करते हैं। अरणि नामकरण अरणि के नामकरण की कथा रोचक है। किंतु उससे भी अधिक प्रिय कथा है उस युगल "उर्वशी और चक्रवर्ती पुरुरवा" के प्रणयन की जिनके पुत्र आयु के नाम से अरणि नाम प़डा । भारतीय संस्कृति में माचिस से लेकर लाइटर तक मॉडर्न इक्विपमेंट्स उपलब्ध होने के बावजूद आज भी विश्वकमीॅय वैदिक यज्ञ में अग्नि जलाने के लिए सदियों पुराना तरीका ही अपनाया जाता है। महायज्ञ में विश्वकमीॅय वैदिक ब्राह्मणों ने लकड़ी के बने यंत्र से आग उत्पन्न की जिसका यज्ञ में इस्तेमाल किया गया। इस यंत्र को अरणी कहा जाता है। अरणी परिचय शमी (खेजड़ी) के वृक्ष में जब पीपल उग आता है। शमी को शास्त्रों में अग्नि का स्वरूप कहा गया है जबकि पीपल को भगवान का स्वरूप माना गया। यज्ञ के द्वारा भगवान की स्तुति करते हैं अग्नि का स्वरूप है शमी और नारायण का स्वरूप पीपल, ...