मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

जय जय श्रीराम
मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

हो रहा साकार , मंदिर श्री हरि आकार मिले है,
मनाओ दिवाली, मुझे अवध में श्रीराम मिले है,

मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

रख दे शिल्प, सृजन का मुझे अवसर मिला है,
चमक रहे बंशीपहाड़ , तराशे पत्थर मे श्रीराम मिले है,

मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

सरयू धारा को, तरंग-तरंग राम मंत्र मिले है,
भजे तुलसीदास , चौपाईयो मे मुझे श्रीराम मिले हैं,

मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

रोशनी चमक रही, उजालों मे दशरथ नंदन मिले हैं,
हो रहा शंखनाद , गूंज गूंज अवधनाथ मिले हैं,

मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

अविरत भक्ति मे , शबरी, जटायु, हनुमान मिले हैं,
रचित रामसेतु, नल-नील मे विश्वकर्मा मिले हैं,

मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

वंदन अविनाशी, अभिनंदन सह संघर्ष श्रीराम मिले हैं, 
मुख-मुख स्मित बरसे, राजतिलक मे श्रीराम मिले हैं, 

मे शिल्पी मुझे मेरे श्री राम मिले हैं.....

श्रीराम मंदिर के शिलान्यास प्रसंग में काव्य रचना

काव्य रचना - ©️मयूर मिस्त्री


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