विश्वकर्मा भगवान द्वारा रचित सिमरिया शिवालय

*विश्वकर्मा भगवान द्वारा रचित सिमरिया शिवालय*

प्रभु विश्वकर्मा द्वारा भारतवर्ष में अनेक मन्दिरों की रचना का उल्लेख ग्रंथो और कुछ लोक कथाओं या किंवदन्ती स्वरुप जानने मिल रहा है उन्हीं मे से एक सिमरिया का शिवमंदिर जो प्रभु विश्वकर्मा ने एक रात में रचित किया है जानते हैं किंवदन्ती कथा अनुसार...! 

सिकन्दरा-जमुई मुख्यमार्ग पर अवस्थित बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर आज भी लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। जहा लोग सच्चे मन से जो भी कामना करते हैं उसकी कामना की पूर्ति बाबा धनेश्वरनाथ की कृपा से अवश्य पूरी हो जाती है।

प्राचीन मान्यता के अनुसार यह शिवमंदिर 400 दशक से भी अधिक पुराना है। जहा बिहार ही नहीं वरन दूसरे राच्य जैसे झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि से श्रद्धालु नर-नारी पहुंचते हैं। पूरे वर्ष इस मंदिर में पूजन दर्शन, उपनयन, मुंडन आदि अनुष्ठान करने के लिए श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है।

झारखंड के देवघर स्थित भगवान महादेव के शिव मंदिर का दूसरा रूप माना जाता है जमुई के महादेव सिमरिया में स्थित भगवान शिव का मंदिर। यहां सावन के प्रत्येक सोमवारी को श्रद्धालु कांवर में जल भरकर पैदल चलकर मंदिर पहुंचते हैं और बोलबम के नारे से पूरा महादेव सिमरिया गुंजायमान हो जाता है।लोगों का मानना है कि देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने रातों रात अपने हाथों से भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण किया था। पूर्वजों के अनुसार गिद्धौर राजरियासत के राजा महाराजा चंद्रचूड़ सिंह की भगवान शिव में आस्था थी। वे प्रतिदिन घुड़सवारी कर भगवान शिव की सुबह-सुबह पूजा अर्चना करने जमुई से देवघर जाया करते थे। धीरे-धीरे उनकी उम्र ढलती गई और वे बीमार पड़ गए। जब वे दो तीन दिन भगवान शंकर की पूजा नहीं कर सके तो वे काफी चिंतित हुए और भगवान शिव से प्रार्थना किए की भगवन कोई उपाय करें ताकि मैं आपसे दूर हो सकूं। जब महाराजा चंद्रचूड़ सिंह अपनी अस्वस्थता के कारण भगवान शिव से दूर होने लगे तो भगवान ने एक रात उन्हें स्वप्न में कहा कि हे राजा चिंता मत कर मैं तुम्हारे काफी करीब गया हूं। तुम अब मेरी पूजा अपने राज्य में भी कर सकते हो। मैं तुम्हारे राज्य के सिमरिया स्थित एक तालाब के बीच आज की रात स्थापित हो चुका हूं। राजा की आंखें खुल गईं। राजा से रहा नहीं गया और अहले सुबह ही वे अपने घोड़े पर सवार होकर सिमरिया गांव की ओर निकल पड़े। वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा की भगवान शिव का एक विशाल मंदिर बना है जिसमें शिवलिंग स्थापित है। महाराजा ने उसी समय उक्त तालाब में स्नान कर उसे शिवगंगा का नाम दिया और भगवान शिव की पूजा कर उस गांव का नाम सिमरिया से बदल कर महादेव सिमरिया कर दिया।

शिवलिंग की स्थापना को लेकर एक और मान्यता है कि गिद्धौर वंश के तत्कालीन महाराजा पूरनमल सिंह सिकन्दरा, लछुआड़ से हर दिन देवघर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने के उपरांत ही भोजन किया करते थे। रास्ते में पड़ने वाली किउल नदी में बाढ़ आने के बाद वे कई दिन नदी पार कर देवघर नहीं जा पाए। रात्रि में स्वप्न आया कि मैं तुम्हारे राज्य में प्रकट होउंगा। सिकन्दरा से देवघर जाने के दौरान सुबह सबेरे महादेव सिमरिया के शिवडीह में लोगों की भीड़ देखकर राजा वहां पहुंचे तो स्वत: प्रकट शिवलिंग पाया। जैसा उन्हें देवघर के भगवान शंकर ने स्वप्न में बताया था। राजा ने वहां एक भव्य मंदिर बनाया और स्वप्न के अनुसार देवघर में पूजा का जो फल प्राप्त होता है वहीं महादेव सिमरिया की पूजा से प्राप्त है। चुकि कुंभकार की मिट्टी खुदाई के दौरान यह शिवलिंग प्रकट हुआ था। इस कारण महादेव सिमरिया में ब्राह्माणों की जगह आज भी कुंभकार ही पंडित का कार्य करते हैं।

शिवलिंग की स्थापना को लेकर एक और मान्यता है कि पुरातन समय में धनवे गाव निवासी धनेश्वर नाम कुम्हार जाति का व्यक्ति मिट्टी का बर्तन बनाने हेतु प्रत्येक दिन की भाति मिट्टी लाया करता था कि अचानक एक दिन मिट्टी लाने के क्रम में उसके कुदाल से एक पत्थर टकराया। उस पर कुदाल का निशान पड़ गया। उसने उस पत्थर को निकालकर बाहर कर दिया। अगले दिन पुनरू मिट्टी लेने के क्रम में वह पत्थर उसी स्थान पर मिला। बार-बार पत्थर निकलने से तंग आकर धनेश्वर ने उसे दक्षिण दिशा में कुछ दूर जाकर गडढे कर उसे मिट्टी से ढक दिया। उसी दिन मानें तो जैसे रात्रि महारात्रि सा लग रहा था।
मंदिर का मुख्य द्वार पूरब दिशा की ओर है। मंदिर परिसर में सात मंदिर है जिसमें भगवान शकर का मंदिर गर्भगृह में अवस्थित है।। इस मंदिर के चारों और शिवगंगा बनी हुई है।

विश्वकर्मा जी द्वारा यह मंदिर आज भी स्थित है ऐसे ही कई मंदिर समाज के लिए धरोहर समान है

यह लेख और जानकारी सिर्फ किंवदन्ती और लोक कथा के अनुसार वर्णित की जा रही है इसको प्रचारित विश्वकर्मा साहित्य भारत द्वारा करने का उद्देश सिर्फ सामाजिक जानकारी और साहित्य के प्रचार द्वारा लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु किया जा रहा है।
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