प्रभु विश्वकर्माजी के 108 नाम अर्थ सहित

प्रभु विश्वकर्माजी के 108 नाम अर्थ सहित

विश्वकर्मा साहित्य भारत के द्वारा हमेशा समाज मे विश्वकर्मा साहित्य का प्रचार प्रसार किया है
आज एक और जानकारी समाज को साहित्य के रूप में प्रसारित कर रहे हैं
*(1)* *अधिकर्मिक*- अन्य द्वारा किए गए कार्यो का निरीक्षण करनेवाले
*(2)* *अतुल* - जिसकी कोई तुलना नहीं हो सकती
*(3)* *अज* - जन्म मृत्यु से रहित हे वह 
*(4)* *आनन्त्य* - जो अनंत और असीम हे 
*(5)* *अचॅनीय* - जो सबके लिए पूजनीय है और संन्मानीय है 
*(6)* *अभिक्षक* - जो सुरक्षा के लिए तत्पर है 
*(7)* *अधिष्ठाता* - निरीक्षक, स्वामी और दूसरे को वश में रखने वाले 
*(8)* *अधिनायक* - जो सर्व को आधीन रखने के लिए समर्थ 
*(9)* *अभिनंध* - जो प्रशंसा और वन्दना करने योग्य 
*(10)* *आदिकर* - सृष्टि का प्रारंभ करने वाले, सृष्टि के सर्जक 
*(11)* *अधिश्र्वर* - नेता, स्वामी, प्रभावशाली विशिष्ट पुरुष 
*(12)* *अभिधेय* - सर्वसार, निष्कर्ष और अविकल अर्थ वाले 
*(13)* *अभ्युध्यकारी* - समृद्धि और वैभव को संपन्न करनेवाले 
*(14)* *आढयंकर* - अतिशय सम्पति प्राप्त करनेवाले 
*(15)* *अमन्द* - जो अपने कार्यो में ढील न रखे, कार्य कुशल, क्रियाशील
*(16)* *आराधनीय* - जो सर्व तरीके से आराध्य और पूजनीय है 
*(17)* *आनंदन* - सुखरूप, उपकारी, हितैषी 
*(18)* *आयःशूलीक* - कार्यकुशल, चतुर और अपने कार्यो को पूर्ण करने आतुर रहने वाले 
*(19)* *इरेश* - विष्णु, वरुण, गणेश्वर, अधिश्वर विगेरे 
*(20)* *ईश्वर* - सभी वैभवो से संपन्न सबके स्वामी या सर्व तरीके से समर्थ 
*(21)* *ईक्षकः* - सबकी देखरेख रखने वाले, समदशीॅ
*(22)* *उधमी* - परिश्रम करने मे पीछे हट न करने वाले 
*(23)* *उत्पादक* - उत्पन्न करने वाले, कार्यो को पूर्ण करनेवाले 
*(24)* *उच्चण्ड* - स्फूर्तिशाली, अति गति से कार्य करने वाले 
*(25)* *उत्तम श्लोक* - आदर्श पुरुष, प्रतिष्ठित, सबसे बड़े यशस्वी 
*(26)* *एकान्त* - एक वस्तु को लक्ष्य मे रखने वाले 
*(27)* *एकाक्षर* - प्रणव स्वरूप परमात्मा 
*(28)* *ऐश्वर्यवंत* - ऐश्वर्यशाली, प्रभावशाली
*(29)* *एैकात्मय* - परमात्मा स्वरूप 
*(30)* *औपत्तिक* - तुलना योग्य 
*(31)* *ओजस्वी* - अत्यंत शक्तिशाली 
*(32)* *ॐकार* - इनके बहुत से अर्थ होते हैं ब्रम्हा, विष्णु, विश्वकर्मा वायु, अग्नि, कामदेव, यम, सूर्य, जीवात्मा जैसे अनेक नाम 
*(33)* *कल्याणक* - समृद्धिशाली, शुभदायक, मंगलकारी 
*(34)* *कष्टक विशोधक* - सर्व विध्नो को दूर करने वाले 
*(35)* *काला* - काल को जानने वाले 
*(36)* *कामुॅक* - सर्व कर्मो को सुचारू रूप से पार करने वाले 
*(37)* *कालाध्यक्ष* - काल को अपनी इच्छानुसार चलाने वाले 
*(38)* *कातिॅकीय* - जो सुंदर किर्ति वाले हैं 
*(39)* *कुशाग्र बुद्धि* - जो अत्यंत बुद्धिशाली है 
*(40)* *कृतायापस* - जो सर्व प्रकार के प्रयत्नों मे सफल हे 
*(41)* *कृताभरण* - सब तरीके से सुसज्जित, विभूषित 
*(42)* *कृतसपॅ* - जो सर्व कार्य को पूर्ण करने मे समर्थ है 
*(43)* *कृतागम* - योग्य, कायॅशील, परमात्मा 
*(44)* *कृत हस्त* - सर्व विधाओं और कलाओं मे निपुण हैं 
*(45)* *कृतध्न* - स्थिर बुद्धि वाले, कार्य को पूर्ण करनेवाले 
*(46)* *कृत संकल्प* - सोच विचार को पूर्ण करनेवाले 
*(47)* *कृत प्रतिज्ञ* - जो प्रतिज्ञा ले उसे पूर्ण करनेवाले 
*(48)* *कृत लक्षण* - जो अपने गुणों के कारण प्रसिध्द हो 
*(49)* *कृपालु* - उदार हृदय वाले 
*(50)* *कृती* - सर्व कार्यों में कुशल 
*(51)* *कृत्नु* - सभी प्रकार मे योग्य 
*(52)* *केलीमु* - कार्यो को खेल के तरीके से पूर्ण करने सक्षम 
*(53)* *केतक* - नगर, भवन आदि का निर्माण करनेवाले, संकल्पमय 
*(54)* *कौतुक प्रिय* - विश्व का निर्माण का कार्य प्रसन्नता से करनेवाले 
*(55)* *क्रतुयती* - विश्व का सृजन का कार्य पूर्ण करनेवाले 
*(56)* *क्रतुपिय* - सर्ग रुप यज्ञ में प्रगट होने वाले 
*(57)* *क्रियाथट* - विश्व की सर्व क्रिया ओ मे निपुण 
*(58)* *कवाचित्क* - असामान्य, विशिष्ट, कभी कभी मिलने वाले, दुर्लभ 
*(59)* *क्षिप्रकारी* - जल्दी से कार्य करने वाले, स्फूर्तिले, त्वरा से कार्य अंजाम देने वाले 
*(60)* *क्षन्ता* - ध्येर्यशाली, सहनशील, साहसी, शांत स्वभावी
*(61)* *ख्यातिप्राप्त* - अत्यंत प्रसिध्द, प्रशंसनीय, किर्ति प्राप्त करनेवाले 
*(62)* *गमनीय* - समझने योग्य, जिनका बोध ले सके 
*(63)* *गणितज्ञ* - सर्व प्रकार के गणित के ज्ञानी 
*(64)* *गणऽकदन* - सर्व प्रकार के विध्न कष्ट दूर करने वाले 
*(65)* *गुणी* - सर्व गुण सम्पन्न 
*(66)* *चक्री* - कुम्हार, राजा के सम्राट 
*(67)* *चक्रवर्ती* - सबके स्वामी,अधिश्वर, सर्वोच शाशक 
*(68)* *चण्ऽविक्रम* - अत्यंत पराक्रमी 
*(69)* *चण्ड* - स्फूर्तिशाली, कर्मक 
*(70)* *चंचूर* सर्व तरीके से कार्य कुशल 
*(71)* *चारक* - चालाक, नायक, नेता 
*(72)* *चिन्मय* - विशुद्ध ज्ञान स्वरूप ईश्वर 
*(73)* *चित्रकार* - विश्व द्रश्य के ईश्वर 
*(74)* *छत्वरक* - उधान, भवन के निर्माता, विशषज्ञ 
*(75)* *जन प्रिय* - प्राणियों के आश्रय स्थान 
*(76)* *जगतीश्र्वर* - संसार के स्वामी 
*(77)* *जगत्सृष्ट* - विश्व के रचयिता 
*(78)* *जागरूकय*- स्वकार्य के प्रति सदा सजग रहने वाले 
*(79)* *जिष्णु* - विजयी परमात्मा परब्रम्ह, विष्णु, इंद्र, सूर्य, विश्वकर्मा आदि 
*(80)* *तक्ष्णिकमीॅ* - प्रतिदान या प्रतिफल की आशा के त्यागी 
*(81)* *तक्षक* - देवो के कारीगर, सूत्रधार 
*(82)* *तितिक्षु* - सहनशील, दयालु 
*(83)* *त्यागी* - फल की आशा न रखनेवाले 
*(84)* *त्वष्टा* - त्रिलोक की रचना करने मे समर्थ, विश्वकर्मा 
*(85)* *त्रिकालविद* - त्रिकाल दशीॅ, भूत, भविष्य, वतॅमान के ज्ञाता
*(86)* *दाता* - सर्व को कुछ न कुछ देनेवाले 
*(87)* *दक्ष* - तत्काल कार्य करने मे कुशल, समर्थ, शक्तिशाली 
*(88)* *विष्णु* - दाता 
*(89)* *दिव्य* - अलौकिक, सुंदर मनोहर 
*(90)* *दृप्त* - तेजमय प्रकाशवान 
*(91)* *देवशिल्पी* - देवो के शिल्पी, विश्वकर्मा 
*(92)* *देववधॅकी* - देवताओं के लिए श्रेष्ठ 
*(93)* *धृतात्मा* - सुदृढ्य संकल्प वाले 
*(94)* *नमस्य* - संमानिय, वंदनीय 
*(95)* *नंदक* - सुखदाता 
*(96)* *नीरज* - हरेक कार्यों में प्रसन्न 
*(97)* *नित्य* - सदा विधमान रहने वाले 
*(98)* *निपुण* - कार्यकुशल 
*(99)* *नियामक* - सर्व पर शाशन करने वाले 
*(100)* *परावर* - दूर भी पास भी, सर्वत्र निवासी 
*(101)* *पटु* - कार्यकुशल 
*(102)* *पृथु* - महान, विस्तुत, कार्यकुशल, चतुर, दक्ष 
*(103)* *पारंगत* - कोई खास विद्या के ज्ञाता 
*(104)* *विश्वकर्मा* - सभी लोको का निर्माण करने वाले 
*(105)* *ब्रम्हावत्* - ब्रम्ह समान शक्तिशाली 
*(106)* *विश्वात्मा* - जो समस्त जीवो मे आत्मरूप है 
*(107)* *सृष्टिकर्ता* - सृष्टि के सृजनकर्ता 
*(108)* *शवोश्वर* - सर्व देवो मे सर्व मान्य देव

प्रचारक- मयूर मिस्त्री (गुजरात)
विश्वकर्मा साहित्य भारत
विश्वकर्मा प्रचार प्रसार अभियान


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