साहित्य रत्न श्री परमानंद पांचाल जी


*श्री परमानंद पांचाल*
*साहित्य रत्न*
श्री डॉ. परमानंद पांचाल जी हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक, भाषाविद् एवं समीक्षक के साथ-साथ दक्खिनी हिंदी के अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति प्राप्‍त विद्वान हैं। पेशे से शिक्षक डॉ. पांचाल जी ने भारत सरकार के कई उच्‍च पदों सहित निदेशक (राजभाषा) का पद भी सुशोभित किया है।  डॉ. परमानंद पांचाल जी का जन्म 4 जुलाई, 1930 को हुआ।

*कार्यक्षेत्र*
हिंदी में ज्ञान-विज्ञान, खोज, पर्यटन तथा यात्रा-साहित्‍य को समृद्ध बनाने और दक्खिनी हिंदी के अनेक अज्ञात रचनाकारों की कृतियों को प्रकाश में लाने का श्रेय डॉ. पांचाल को है। डॉ. पांचाल के 24 ग्रंथ और 400 से अधिक आलेख प्रकाशित हैं। ‘हिंदी के मुस्लिम साहित्‍यकार’, ‘दक्खिनी हिंदी की पारिभाषिक शब्‍दावली’ और ‘दक्खिनी-हिंदी : विकास और इतिहास’ इनकी प्रमुख पुस्‍तकें हैं। 
इन्‍होंने उर्दू से हिंदी में अनुवाद कार्य और अनेक उच्‍च शिक्षण संस्‍थाओं में हिंदी और दक्खिनी हिंदी पर महत्‍वपूर्ण व्‍याख्‍यान भी दिए हैं। आप भारत सरकार की केंद्रीय हिंदी समिति एवं अन्‍य कई मंत्रालयों की हिंदी सलाहकार समितियों के सदस्‍य भी रहे हैं।

*सम्मान एवं पुरस्कार*
हिंदी सेवा के लिए इन्‍हें ‘साहित्‍यकार सम्‍मान’, ‘अतिविशिष्‍ट हिंदी सेवी सम्‍मान’ के अलावा अनेक सम्‍मानों से विभूषित किया जा चुका है। डॉ. श्री परमानंद पांचाल को महापंडित राहुल सांकृत्‍यायन पुरस्‍कार से सम्‍मानित करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान गौरवान्वित है।

*विश्वकर्मा साहित्य भारत द्वारा प्रचार प्रसार*

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