देवशिल्पी प्रार्थना - विश्वकर्मा साहित्य भारत

देवशिल्पी प्रार्थना 

निर्मल नयनों से तेरी सृष्टि नीरखु अनंता,
रत्न - स्वणाॅ सजावट तेरी अद्भुत विशाला,

तेरे सृजन सरोवर को तरसे तालाब सरोवरा,
तुम अम्बर अवकाश, तू ही बादल घनघोरा,

तुम कला कौशल सहित कलम चित्र चितारा,
भौवन, देवशिल्पी कहु तुम विश्वरुपाला,

रंग जगत खुशी त्योहार तम अवसरा,
समर्पित राहु तम विश्व नवनव आकारा,

वषाॅ मेघ धरा स्मित ह्रदय खुशहाला,
तुज कृपा फल पुष्प अन्न जनजन भंडारा,

रोम रोम चेतन जग संगीतम् सुरताला,
रहे आशिष शरण नमन करे मोर मयूरा,
©️मयूर मिस्त्री
विश्वकर्मा साहित्य भारत

Comments

Popular posts from this blog

श्रीलंका मे रावण काल ​​का विश्वकर्मा ध्वज

રામસેતુ - એક જીવંત ધરોહર

देवताओं के पुरोहित विश्वकर्मा पुत्र आचार्य विश्वरूप