भगवान विश्वकर्मा निर्मित सुदर्शन चक्र

भगवान विश्वकर्मा निर्मित सुदर्शन चक्र क्षिप्तं क्षिप्तं रणे चैतत् त्वया माधव शत्रुशु । हत्वाप्रतिहतं संख्ये पाणिमेष्यति ते पुनः ।। - महाभारत, आदिपर्व ॐ साधनं नास्ति सर्वलोकानां सर्वसाधक:। करोति लोहकर्माणि, लोकान् रक्षति सानग:।। ओम् ददौ शस्त्राणि देवानां, दुष्टनिग्रहकारणात्। ॐ स च सर्वजगत्कर्ता, सद्योजातमुखोद्भभव:।। ओम् शूलं ददाति भर्गाय, चक्रं दत्तंच विष्णवे। पाशस्तु ब्राह्मणे दत्तो, निर्मूत्यागमसानग:।। यजुर्वेद अध्याय ३१, मंत्र १७ के अनुसार भगवान् विश्वकर्मा ने पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायु की रचना की है । आविष्कार एवं निर्माण कार्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा के द्वारा किया गया है । पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होने वाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है । कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान् का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान् का त्रिशूल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान् व...