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Showing posts from May, 2022

विश्वकर्मा जी की गुफा

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विश्वकर्मा जी की गुफा विश्वकर्मा गुफा, अशोक शिलालेख (सी.258 ईसा पूर्व) बराबर पहाड़ी गुफाएं ये बहुत ही प्रख्यात पहाड़ी हे जो बिहार में स्थित है। यहा का स्थापत्य सबसे पुराना जीवित हैं भारत में चट्टानों को काटकर गुफाओं , मे नक्काशी कर मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व), के साथ कुछ अशोक के शिलालेख, में स्थित मखदुमपुर के क्षेत्र जहानाबाद जिले , बिहार , भारत , 24 किमी के उत्तर में स्थित है।  लोमस ऋषि गुफा के प्रवेश द्वार के चारों ओर की मूर्तिकला ओगी आकार के " चैत्र मेहराब" या चंद्रशाला का सबसे पुराना अस्तित्व है जो सदियों से भारतीय रॉक-कट वास्तुकला और मूर्तिकला सजावट की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी। रूप स्पष्ट रूप से लकड़ी और अन्य पौधों की सामग्री में इमारतों के पत्थर में एक प्रजनन था। गुफाओं द्वारा इस्तेमाल किया गया संन्यासियों से आजीविक संप्रदाय,द्वारा स्थापित किया गया माखाली गौशाला , के समकालीन गौतम बुद्ध , बौद्ध धर्म के संस्थापक और के महावीर , पिछले और 24 वें तीर्थंकर की जैन धर्म । आजीविकों में बौद्ध धर्म और जैन धर्म के साथ कई समानताएँ थीं।  इसके अलावा गुफाओं पर कई बौद

।। संस्कृतम् ।।

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।। संस्कृतम् ।।  कुछ समय पहले मुझे एक जानकारी प्राप्त हुई थी जिसमें संस्कृत भाषा का अद्भुत प्रयोग किया गया था। इसमें एक शब्द को विस्तारित कर विभिन्न चरित्रों के साथ जोड़ा गया था। मैंने सोचा कि इसे आप सभी के साथ साझा करना आवश्यक है ताकि हम सभी संस्कृत भाषा के अद्भुत उपयोग को देख सकें। ऐसा प्रयोग संसार की किसी भी अन्य भाषा के साथ करना असंभव है। आप स्वयं देखिये   अहिः =  सर्पः अहिरिपुः =  गरुडः अहिरिपुपतिः =  विष्णुः अहिरिपुपतिकान्ता =  लक्ष्मीः अहिरिपुपतिकान्तातातः =  सागरः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धः =  रामः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ता =  सीता अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरः =  रावणः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयः =  मेघनादः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्ता =  लक्ष्मणः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदाता =  हनुमान् अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजः =  अर्जुनः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखा =  श्रीकृष्णः अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतः =  प्रद्

देवताओं के पुरोहित आचार्य विश्वरूप

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देवताओं के पुरोहित आचार्य विश्वरूप भृगुकुल उत्पन्न त्वष्टा विश्वकर्मा के पुत्र देवताओं के पुरोहित विश्वरूप के प्रकट दिवस (वैशाख मास शुक्ल पक्ष द्वितीया) पर सभी सनातनियों को शुभकामनाएँ।  मित्रों एवं महानुभावों, भृगुकुल उत्पन्न त्वष्टा विश्वकर्मा के पुत्र देवताओं के पुरोहित विश्वरूप जी थे जिनका एक नाम त्रिशिरा विश्वरूप भी था। वह तीन सिरों वाले थे जिस कारण उनका नाम त्रिशिरा भी पड़ा। एक समय देवताओं के गुरु बृहस्पति जी देवताओं से रुष्ट होकर आचार्य पुरोहित का पद त्यागकर जब स्वर्गलोक से चले गये थे तब सब देवताओं ने परम तेजस्वी परम तपस्वी विद्वान भृगुकुल में उत्पन्न त्वष्टा विश्वकर्मा के पुत्र विश्वरूप जी को पुरोहित आचार्य बनाया। एक समय विश्वरूप एवं देवताओं के राजा इंद्र से विवाद होने पर देवराज इंद्र ने छल से विश्वरूप जी की हत्या कर दी जिस कारण देवराज इंद्र को ब्रह्महत्या लगी और इंद्र ने उसका प्रायश्चित भी किया। निम्न सभी प्रमाणों से हम यह सिद्ध करेंगे कि भृगुकुल उत्पन्न त्वष्टा विश्वकर्मा के पुत्र विश्वरूप जी देवताओं के आचार्य पुरोहित थे।   काश्यपस्य ततो जज्ञे दित्यां दनुरिति स्मृत