दैवज्ञ संत श्री नरहरि सोनार जी - विश्वकर्मा साहित्य भारत

विश्वकर्मा_दैवज्ञ_संत_श्री_नरहरि_सोनार_जी नरहरी सोनार नामक महान विट्ठल भक्त का जन्म सं .१३१३ में श्री पंढरपुर धाम में हुआ था। पंढरपुर में भगवान् श्रीकृष्ण के साथ साथ शिवोपासना भी प्राचीन काल से चली आ रही है। नरहरी सोनार के घर भगवान् शिव की उपासना परंपरा से चली आ रही थी। उनके पिता महान शिव भक्त थे, रोज शिवलिंग को अभिषेक करके बिल्वपत्र अर्पण करने के बाद ही वे काम पर जाते। चिदानंदरूप: शिवोहं शिवोहं यह उनकी शिव उपासना की भावना थी और भगवान् शिव की कृपा से ही उनके घर नरहरी का जन्म हुआ था। समय आने पर नरहरी का जनेऊ संस्कार हुआ। मल्लिकार्जुन मंदिर में जाकर भगवान् की पूजा करने में एवं स्तोत्र पाठ करने में उन्हें बहुत आनंद आता था। बाल्यकाल।में उन्हें अनेक शिव स्तोत्र कंठस्थ थे धीरे धीरे इनकी शिव उपासना बढ़ गयी परंतु नरहरी जी केवल भगवान् शिव को ही मानते, श्री कृष्ण के दर्शन के लिए कभी न जाते। पंढरपुर में भगवान् विट्ठल के लाडले संत श्री नामदेव का कीर्तन नित्यप्रति हुआ करता था। सब गाँव वासी वह आया करते पर नरहरी जी कभी न आते। एक दिन मल्लिकार्जुन भगवान् के मंदिर से निकलते नरहरी माता पि...