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Showing posts from November, 2020

भगवान विश्वकर्मा शासित सत्रह मुखी रुद्राक्ष

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भगवान विश्वकर्मा शासित सत्रह मुखी रुद्राक्ष रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र और अक्सा (संस्कृत: अक्ष) नामक शब्दों से मिलकर बना है। “रुद्र” भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ' अश्रु की बूँद' अत: इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र (भगवान शिव) के आसुं से है। विश्वकर्मा शासित सत्रह मुखी रुद्राक्ष की सतह पर सत्रह प्राकृतिक रेखाएँ होती हैं। 17 मुखी रुद्राक्ष भगवान विश्वकर्मा का प्रतिनिधित्व करता है।  जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विश्व के निर्माता और वास्तुकार हैं। यह रुद्राक्ष माँ कात्यायनी के रूप में देवी दुर्गा का भी प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रदाता माना जाता है। यह रुद्राक्ष भौतिक संपत्ति जैसे संपत्ति, वाहन, आभूषण, शेयर के रूप में अप्रत्याशित धन प्राप्त करने में बहुत शक्तिशाली है। ऐसा कहा जाता है कि यह अपने पहनने वाले को असीम भौतिकवादी लाभ देता है। सत्रह मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले की कुंडलिनी को सक्रिय करता है। यह रुद्राक्ष अपने पहनने वाले को असीम ऊर्जा देता है। औद्योगिक और नौकरी दोनों स्तरो

विश्वकर्मा हस्त शोभित गज और उसकी महिमा

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विश्वकर्मा हस्त शोभित गज और उसकी महिमा विश्वकर्मा जी की कृपा से हम सभी सनातन धर्म के लोग घर, दुकान, महल, मंदिर, गढ, या कोई भी वस्तु बनाते हैं तो उन्हें नापने का कोई उत्तम और एकम होता है उसी एकम को गज का नाम दिया हुआ है जो वैदिक काल से अनेक वास्तु ग्रंथो मे दर्शाया गया है  कला से जुड़े सभी कारीगर वर्ग इस गज यंत्र की पूजा अवश्य करते आए हैं तो आज विश्वकर्मा साहित्य भारत के माध्यम से जानते हैं कि गज और उनकी महिमा का वर्णन और कार्य।  विश्वकमाॅ भगवान की सभी कला और साधनों में  काम आते विशेष हथियारों में सवॅश्रेष्ठ और प्रभु का स्वरूप गज को माना जाता है जो सारे ब्रह्मांड के अणु - परमाणु से लेकर योजन पयॅन्त और सुक्ष्मादी सुक्ष्मसाकार विराट वैभव गज में  सम्मिलित हें। जिनके द्वारा ही यह विश्व का संचालन चलता हे. यह गज ये विश्वकमाॅ का सुक्ष्म स्वरूप हे. गज सुक्ष्म और साकार यह दोनों प्रकार के हे, जो किसी ने किसी रीते विश्व के सृजन में काम आता हें. जिसके बिना जगत का संचालन और आंकलन शक्य नही, जिन्हें हम सप्तसुत्र के नाम से पहचाने हें. इसे धारण करने वाला " सुत्रधार " के नाम से जाना